रोंगटे खड़े कर देने वाली सांप और चूहे की कहानी
दो उल्लू थे, जो एक वृक्ष के ऊपर बैठे हुऐ थे। जिसमे से एक उल्लू के मुंह में चूहा था,जबकि दूसरे उल्लू के मुंह में सांप था।
सांप ने चूहे को देखा तो वह यह भूल ही गया कि वह उल्लू के मुंह में है, और मौत के करीब है, चूहे को देख कर उसके मुंह में लार बहने लगी ।
चूहे ने जैसे ही सांप को देखा वह कांपने लगा, जबकि सांप और चूहा दोनों ही मौत के मुंह मे बैठे है दोनों उल्लू बड़े हैरान हुए।
एक उल्लू ने दूसरे उल्लू से पूछा कि भाई, इसका कुछ राज समझे? दूसरे ने कहा, बिल्कुल समझ में आया। पहली बात तो यह है कि जीभ की इच्छा इतनी प्रबल है कि सामने मृत्यु खड़ी हो तो भी दिखाई नहीं पड़ती।
दूसरी बात यह समझ में आई कि भय (डर) मौत से भी बड़ा भय है। मौत सामने खड़ी है, फिर भी उससे भयभीत नहीं है चूहा; लेकिन भय से भयभीत है कि कहीं सांप हमला न कर दे।
शिक्षा:- हम भी मौत से भयभीत नहीं हैं, भय से ज्यादा भयभीत हैं। ऐसे ही जीभ का स्वाद इतना प्रगाढ़ है कि मौत चौबीस घंटे खड़ी है, फिर भी हमें दिखाई नहीं पड़ती है और हम अंधे होकर कुछ भी डकारते रहते हैं।
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